स्वदेश जागरण मंच ने मोदी सरकार को भेजी चिट्ठी, ई-कॉमर्स कंपनियों को राहत नहीं देने की मांग
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने मोदी सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि ई-कॉमर्स कंपनियों पर सरकारी सख्ती जारी रखते हुए उन्हें कोई राहत न दी जाए.
सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नियमों को सख्त करने का फैसला किया है.
सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नियमों को सख्त करने का फैसला किया है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने मोदी सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि ई-कॉमर्स कंपनियों पर सरकारी सख्ती जारी रखते हुए उन्हें कोई राहत न दी जाए. स्वदेशी जागरण मंच और केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी दोनों ही संघ परिवार का हिस्सा हैं और ऐसे में माना जा रहा है कि इस मामले में सरकार पर आरएसएस की तरफ से छोटे कारोबारियों के हित में दबाव बनाया जा रहा है.
समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक स्वदेश जागरण मंच द्वारा सरकार को भेजे पत्र में लिखा है, 'इन दवाबों में आने की कोई जरूरत नहीं है. भारत को खुद और अपने उद्यमियों के बल पर आगे बढ़ना चाहिए.' स्वदेशी जागरण मंच का कहना है कि वाशिंगटन के दबाव में अगर ई-कॉमर्स पर सख्ती की तारीख को आगे बढ़ाया गया तो इससे भारत के 13 करोड़ छोटे उद्यमियों को नुकसान होगा.
क्या है पूरा मामला?
ई-कॉमर्स कंपनियों पर एफडीआई से जुड़े नए नियम 1 फरवरी से लागू होने हैं. हालांकि, सरकार 1 फरवरी की डेडलाइन को 2 से 3 महीने तक आगे बढ़ा सकती है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शॉपिंग करने वालों को अभी कुछ और दिनों तक डिस्काउंट मिलना जारी रहेगा. दिसंबर में सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर कर ई-कॉमर्स कंपनियों में एफडीआई से जुड़े नियमों को सख्त किया था. लेकिन, अब खबर मिल रही है कि सरकार कंपनियों को थोड़ी राहत दे सकती है.
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नियमों में क्या बदलाव होने हैं?
फ्लिपकार्ट और एमेजॉन जैसी कंपनियां अपने प्लेटफार्म पर एक्सक्लूजिव प्रोडक्ट नहीं बेच पाएगी. सरकार ने दिसंबर में ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नए दिशानिर्देशों की घोषणा की थी. इनमें FDI वाले ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर उन कंपनियों के प्रोडक्ट्स बेचने से रोक लगाई गई है, जिनमें उनकी हिस्सेदारी है. साथ ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर किसी कंपनी के प्रोडक्ट्स की एक्सक्लूसिव सेल को लेकर भी रोक लगाई गई है. सरकार का कहना है कि ई-कॉमर्स कंपनियां मार्केटप्लेस कंपनियां है और बिजनेस-टू-बिजनेस मॉडल में ही ऑटोमैटिक रुट के जरिए 100 फीसदी FDI की अनुमति है.
सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक, विक्रेताओं पर ई-कॉमर्स कंपनियां दबाव नहीं डाल सकतीं और विक्रेता अपना माल कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बेच सकेगा. कई मौकों पर नए फोन या प्रोडक्ट्स सिर्फ चुनिंदा ई-कॉमर्स साइट पर ही लॉन्च होते है लेकिन नए नियमों के बाद किसी माल के लिए एक्सक्लूसिव प्लेटफॉर्म नहीं होगा.
ई-कॉमर्स कंपनियों की दलील
ई-कॉमर्स कंपनियों ने सरकार को दलील दी है कि नए नियमों को समझने के लिए उन्हें पर्याप्त वक्त नहीं मिला है, इसलिए 6 महीने तक का एक्सटेंशन दिया जाना चाहिए. जानकारों का यह भी कहना है कि फ्लिपकार्ट और अमेजॉन की प्राइवेट लेबल प्रोडक्ट की हजारों करोड़ की इन्वेंटरी कंपनी के पास पड़ी है, इसलिए अगर नए नियम लागू होते हैं तो उस इन्वेंटरी के सामान को कंपनी अपने प्लेटफार्म पर नहीं बेच पाएगी.
सरकार पर अमेरिका से भी दबाव
दुनिया के सबसे बड़े रिटेलर वॉलमार्ट ने भारतीय ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट में 16 मिलीयन डॉलर का निवेश किया है और 77 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है. इसके बाद भारत में मौजूद दोनों बड़े ई-कॉमर्स प्लेयर अमेजॉन और फ्लिपकार्ट का अमेरिका कनेक्शन है. अमेरिकी सरकार भी फ्लिपकार्ट और अमेजॉन के हितों को देखते हुए भारत सरकार पर नियमों में ढील देने का दबाव बना रही है. अमेरिका की सरकार ने कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच में द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध अच्छे हैं, इसलिए अमेरिकी कंपनियों के हितों की रक्षा रक्षा होनी चाहिए.
घरेलू मोर्चे पर विरोध
घरेलू रिटेल संगठन 1 फरवरी की डेडलाइन को आगे बढ़ाने का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. सीए आईटी ने प्रधानमंत्री को खत लिखा है और कई सारी मांगे रखी हैं. खत में यह साफ-साफ लिखा है कि 1 फरवरी की डेडलाइन को आगे नहीं बढ़ाया जाए. ई-कॉमर्स पॉलिसी को जल्द से जल्द जारी किया जाए. ई कॉमर्स नियमों को नहीं मानने वाली कंपनियों पर सख्त कार्रवाई भी होनी चाहिए. कि नियमों का पालन नहीं करके ई-कॉमर्स कंपनियां गलत तरीके से डिस्काउंट दे रही हैं. चुनाव से ठीक पहले सरकार लाखों-करोड़ों छोटे रिटेलर्स को भी नाराज नहीं कर सकती.
ई-कॉमर्स कंपनियों पर क्या असर होगा?
फ्लिपकार्ट और अमेजॉन कंपनियां अपनी सब्सिडियरीज बनाकर उनके प्रोडक्ट्स अपने प्लेटफार्म पर बेचती हैं. लेकिन, किसी भी कंपनी में अगर ई-कॉमर्स कंपनी की हिस्सेदारी है तो वो कंपनी अपना या सब्सिडियरीज का माल नहीं बेच सकेंगी. ग्राहकों की संतुष्टि के लिए विक्रेता भी जिम्मेदार होगा और दाम घटाने के लिए विक्रेता पर दबाव नहीं डाला जा सकता. मतलब यह कि फ्लिपकार्ट और अमेजॉन भारी भरकम डिस्काउंट नहीं दे पाएंगी. ऑफर्स पर भी ई-कॉमर्स कंपनियों को सफाई देनी होगी और कैश-बैक देने में पारदर्शिता बरतनी होगी.
06:31 PM IST